शोध सार
यह शोध पत्र मॉरीशस में हिंदी बाल साहित्य के विकास में डॉ. इंद्रदेव भोला इंद्रनाथ के योगदान पर केंद्रित है। बालक राष्ट्र का भावी कर्णधार होता है, और इसलिए बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों को संस्कारित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रवासी भारतीयों ने विभिन्न देशों में हिंदी साहित्य के विकास में योगदान किया है, लेकिन मॉरीशस में बाल साहित्य का विकास अपेक्षाकृत धीमा रहा है। इसका कारण यह है कि वहां के साहित्यकारों ने बाल साहित्य को गंभीरता से नहीं लिया।
डॉ. इंद्रदेव भोला इंद्रनाथ ने इस कमी को महसूस किया और हिंदी बाल साहित्य को मॉरीशस में स्थापित करने के लिए उल्लेखनीय कार्य किया। उन्होंने बाल मनोविज्ञान को समझते हुए बाल साहित्य की रचनाएँ की, जो बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास में सहायक हैं। उनकी रचनाओं में भारतीय संस्कृति, नैतिकता, गुरु और माता-पिता का सम्मान, और देशभक्ति जैसी महत्वपूर्ण बातें बच्चों को सिखाई जाती हैं।
उनके द्वारा संपादित पुस्तकों जैसे ‘मॉरीशस की मनोहर बाल कहानियां’ और ‘मॉरीशस के बाल नाटक संग्रह’ ने हिंदी बाल साहित्य को एक नई दिशा दी। उनके बाल काव्य संग्रह ‘बच्चे कितने अच्छे’ और अन्य रचनाओं ने मॉरीशस में बच्चों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया। उनका बाल साहित्य सरल, कोमल और बाल मनोविज्ञान के अनुरूप था, जिससे बच्चों को न केवल शिक्षा मिली, बल्कि उन्होंने जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य भी सीखे। डॉ. इंद्रदेव भोला इंद्रनाथ का योगदान मॉरीशस के हिंदी बाल साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व है। उनका बाल साहित्य न केवल मॉरीशस, बल्कि वैश्विक स्तर पर बच्चों के साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनके प्रयासों के कारण हिंदी बाल साहित्य को एक नई पहचान मिली, और उनके कार्य को भविष्य में भी सराहा जाएगा।