Author name: Kamaljeet Singh

साँवत राम बैरवा – रश्मिरथी : समकालीन प्रासंगिकता

साँवत राम बैरवा  सहायक आचार्यराजकीय महाविद्यालय, अटरूबारां (राजस्थान) भारत शोध सारांश ‘रश्मिरथी’ राष्ट्र‌कवि दिन‌कर की अत्यंत लोकप्रिय प्रबंध कृति है I यह कृति अपने आधुनिक भाव बोध के कारण वर्तमान समय में भी अत्यंत प्रासंगिक है I इसमें महाभारत काल के पात्र कर्ण ,कुंती , कृष्ण ,परशुराम और भीष्म के माध्यम से समकालीन समस्याओं की […]

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साँवत राम बैरवा – रश्मिरथी : समकालीन प्रासंगिकता

साँवत राम बैरवा  सहायक आचार्यराजकीय महाविद्यालय, अटरूबारां (राजस्थान) भारत शोध सारांश ‘रश्मिरथी’ राष्ट्र‌कवि दिन‌कर की अत्यंत लोकप्रिय प्रबंध कृति है I यह कृति अपने आधुनिक भाव बोध के कारण वर्तमान समय में भी अत्यंत प्रासंगिक है I इसमें महाभारत काल के पात्र कर्ण ,कुंती , कृष्ण ,परशुराम और भीष्म के माध्यम से समकालीन समस्याओं की

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Overthinking in Teenager’s

Anzari BegamKota (Rajasthan) India Abstract ‘You are overthinking that!’ The article argues against the popular idea that too much of the activity of thinking is bad for individuals. Wrong thinking, I argue, is what is bad or unhealthy, irrespective of the length of time it is done for. Wrong thinking can lead to worrying, stress,

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Overthinking in Teenager’s

Anzari BegamKota (Rajasthan) India Abstract ‘You are overthinking that!’ The article argues against the popular idea that too much of the activity of thinking is bad for individuals. Wrong thinking, I argue, is what is bad or unhealthy, irrespective of the length of time it is done for. Wrong thinking can lead to worrying, stress,

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ਸਮਕਾਲੀ ਹਿੰਦੀ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਨਾਟਕ ਸਾਹਿਤ ਦੇ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨੀ ਅਧਿਐਨ : 1960 ਤੋਂ 1980 ਦਰਮਿਆਨ ਨਾਟਕਾਂ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੰਦਰਭ ਨਾਲ

ਗੁਰਲਾਲ ਸਿੰਘਸਹਾਇਕ ਪ੍ਰੋਫੈਸਰ (ਪੰਜਾਬੀ)ਕੇ.ਆਰ. ਗਰਲਜ਼ ਕਾਲਜ, ਬੋਲਾਂਵਾਲੀਸੰਗਰੀਆ (ਰਾਜਸਥਾਨ) ਭਾਰਤ ਖੋਜ ਸਾਰ ਇਹ ਖੋਜ ਲੇਖ 1960 ਤੋਂ 1980 ਦਰਮਿਆਨ ਲਿਖੇ ਗਏ ਹਿੰਦੀ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਨਾਟਕਾਂ ਦਾ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਵਿਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਪੇਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ।ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਦੋਹਾਂ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਟਕੀ ਸਾਹਿਤ ਵਿੱਚ ਸਮਾਜਿਕ, ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਤੇ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਹੋ ਰਹੀਆਂ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਨੂੰ ਰੂਪਮਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਅਧਿਐਨ ਵਿਚ

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ਗੁਰਲਾਲ ਸਿੰਘਸਹਾਇਕ ਪ੍ਰੋਫੈਸਰ (ਪੰਜਾਬੀ)ਕੇ.ਆਰ. ਗਰਲਜ਼ ਕਾਲਜ, ਬੋਲਾਂਵਾਲੀਸੰਗਰੀਆ (ਰਾਜਸਥਾਨ) ਭਾਰਤ ਖੋਜ ਸਾਰ ਇਹ ਖੋਜ ਲੇਖ 1960 ਤੋਂ 1980 ਦਰਮਿਆਨ ਲਿਖੇ ਗਏ ਹਿੰਦੀ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਨਾਟਕਾਂ ਦਾ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਵਿਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਪੇਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ।ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਦੋਹਾਂ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਟਕੀ ਸਾਹਿਤ ਵਿੱਚ ਸਮਾਜਿਕ, ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਤੇ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਹੋ ਰਹੀਆਂ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਨੂੰ ਰੂਪਮਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਅਧਿਐਨ ਵਿਚ

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मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य स्मृति में दण्ड व्यवस्था का समीक्षात्मक अध्ययन

पुष्पेन्द्र कुमार कुशवाहाशोधार्थी प्रो. प्रीति राठौरविभाग प्रभारी, संस्कृत विभाग,डी.वी.एस.पी.जी. कॉलेज, गोविन्दनगरकानपुर (उत्तर प्रदेश) भारत शोध सारांश प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथ केवल धर्म और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं थे वरन् धर्म, राजनीति, न्याय, समाज और अर्थनीति सभी को संचालित करता था, इसलिए धर्मग्रंथों में राजनीति, न्याय, सामाजिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था आदि सभी का विस्तृत वर्णन मिलता है।

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मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य स्मृति में दण्ड व्यवस्था का समीक्षात्मक अध्ययन

पुष्पेन्द्र कुमार कुशवाहाशोधार्थी प्रो. प्रीति राठौरविभाग प्रभारी, संस्कृत विभाग,डी.वी.एस.पी.जी. कॉलेज, गोविन्दनगरकानपुर (उत्तर प्रदेश) भारत शोध सारांश प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथ केवल धर्म और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं थे वरन् धर्म, राजनीति, न्याय, समाज और अर्थनीति सभी को संचालित करता था, इसलिए धर्मग्रंथों में राजनीति, न्याय, सामाजिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था आदि सभी का विस्तृत वर्णन मिलता है।

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छत्तीसगढ़ के लोक अनुष्ठानों एवं लोक जीवन में राम

सरिता पटेलशोधार्थीहिन्दी विभागइंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालयखैरागढ़ (छत्तीसगढ) भारत शोध सारांश भगवान राम भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। भारतीय समाज, सभ्यता, मूल्य और आर्दश भागवान राम के आदर्शों से निर्मित है। समाज का प्रत्येक वर्ग, जाति, समुदाय राम के आदर्शों से गहराई से प्रभावित है। छत्तीसगढ़ी समाज और संस्कृति में राम भावनात्मक, सांस्कृतिक, नैतिक और धार्मिक

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सरिता पटेलशोधार्थीहिन्दी विभागइंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालयखैरागढ़ (छत्तीसगढ) भारत शोध सारांश भगवान राम भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। भारतीय समाज, सभ्यता, मूल्य और आर्दश भागवान राम के आदर्शों से निर्मित है। समाज का प्रत्येक वर्ग, जाति, समुदाय राम के आदर्शों से गहराई से प्रभावित है। छत्तीसगढ़ी समाज और संस्कृति में राम भावनात्मक, सांस्कृतिक, नैतिक और धार्मिक

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