Author name: Kamaljeet Singh

साँवत राम बैरवा – रश्मिरथी : समकालीन प्रासंगिकता

शोध सारांश ‘रश्मिरथी’ राष्ट्र‌कवि दिन‌कर की अत्यंत लोकप्रिय प्रबंध कृति है I यह कृति अपने आधुनिक भाव बोध के कारण वर्तमान समय में भी अत्यंत प्रासंगिक है I इसमें महाभारत काल के पात्र कर्ण ,कुंती , कृष्ण ,परशुराम और भीष्म के माध्यम से समकालीन समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है जैसे  जाति और […]

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साँवत राम बैरवा – रश्मिरथी : समकालीन प्रासंगिकता – Abstract

शोध सारांश ‘रश्मिरथी’ राष्ट्र‌कवि दिन‌कर की अत्यंत लोकप्रिय प्रबंध कृति है I यह कृति अपने आधुनिक भाव बोध के कारण वर्तमान समय में भी अत्यंत प्रासंगिक है I इसमें महाभारत काल के पात्र कर्ण ,कुंती , कृष्ण ,परशुराम और भीष्म के माध्यम से समकालीन समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है जैसे  जाति और

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ਸਹਾ. ਪ੍ਰੋ. ਗੁਰਲਾਲ ਸਿੰਘ – ਸਮਕਾਲੀ ਹਿੰਦੀ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਨਾਟਕ ਸਾਹਿਤ ਦੇਮਨੋਵਿਗਿਆਨੀ ਅਧਿਐਨ : 1960 ਤੋਂ 1980 ਦਰਮਿਆਨ ਨਾਟਕਾਂ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੰਦਰਭ ਨਾਲ

ਖੋਜ ਸਾਰ ਇਹ ਖੋਜ ਲੇਖ 1960 ਤੋਂ 1980 ਦਰਮਿਆਨ ਲਿਖੇ ਗਏ ਹਿੰਦੀ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਨਾਟਕਾਂ ਦਾ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਵਿਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਪੇਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ।ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਦੋਹਾਂ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਟਕੀ ਸਾਹਿਤ ਵਿੱਚ ਸਮਾਜਿਕ, ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਤੇ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਹੋ ਰਹੀਆਂ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਨੂੰ ਰੂਪਮਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਅਧਿਐਨ ਵਿਚ ਨਾਟਕਾਂ ਦੇ ਪਾਤਰਾਂ ਦੀ ਮਾਨਸਿਕ ਸਥਿਤੀ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰੂਨੀ

ਸਹਾ. ਪ੍ਰੋ. ਗੁਰਲਾਲ ਸਿੰਘ – ਸਮਕਾਲੀ ਹਿੰਦੀ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਨਾਟਕ ਸਾਹਿਤ ਦੇਮਨੋਵਿਗਿਆਨੀ ਅਧਿਐਨ : 1960 ਤੋਂ 1980 ਦਰਮਿਆਨ ਨਾਟਕਾਂ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੰਦਰਭ ਨਾਲ Read More »

ਗੁਰਲਾਲ ਸਿੰਘ – ਸਮਕਾਲੀ ਹਿੰਦੀ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਨਾਟਕ ਸਾਹਿਤ ਦੇਮਨੋਵਿਗਿਆਨੀ ਅਧਿਐਨ : 1960 ਤੋਂ 1980 ਦਰਮਿਆਨ ਨਾਟਕਾਂ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੰਦਰਭ ਨਾਲ – Abstract

ਖੋਜ ਸਾਰ ਇਹ ਖੋਜ ਲੇਖ 1960 ਤੋਂ 1980 ਦਰਮਿਆਨ ਲਿਖੇ ਗਏ ਹਿੰਦੀ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਨਾਟਕਾਂ ਦਾ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਵਿਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਪੇਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ।ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਦੋਹਾਂ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਟਕੀ ਸਾਹਿਤ ਵਿੱਚ ਸਮਾਜਿਕ, ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਤੇ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਹੋ ਰਹੀਆਂ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਨੂੰ ਰੂਪਮਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਅਧਿਐਨ ਵਿਚ ਨਾਟਕਾਂ ਦੇ ਪਾਤਰਾਂ ਦੀ ਮਾਨਸਿਕ ਸਥਿਤੀ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰੂਨੀ

ਗੁਰਲਾਲ ਸਿੰਘ – ਸਮਕਾਲੀ ਹਿੰਦੀ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਨਾਟਕ ਸਾਹਿਤ ਦੇਮਨੋਵਿਗਿਆਨੀ ਅਧਿਐਨ : 1960 ਤੋਂ 1980 ਦਰਮਿਆਨ ਨਾਟਕਾਂ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੰਦਰਭ ਨਾਲ – Abstract Read More »

पुष्पेन्द्र कुमार कुशवाहा – मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य स्मृति में दण्ड व्यवस्था का समीक्षात्मक अध्ययन

शोध सारांश प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथ केवल धर्म और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं थे वरन् धर्म, राजनीति, न्याय, समाज और अर्थनीति सभी को संचालित करता था, इसलिए धर्मग्रंथों में राजनीति, न्याय, सामाजिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था आदि सभी का विस्तृत वर्णन मिलता है। स्मृति ग्रंथों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य स्मृति में न्याय व्यवस्था की

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पुष्पेन्द्र कुमार कुशवाहा – मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य स्मृति में दण्ड व्यवस्था का समीक्षात्मक अध्ययन – Abstract

शोध सारांश प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथ केवल धर्म और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं थे वरन् धर्म, राजनीति, न्याय, समाज और अर्थनीति सभी को संचालित करता था, इसलिए धर्मग्रंथों में राजनीति, न्याय, सामाजिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था आदि सभी का विस्तृत वर्णन मिलता है। स्मृति ग्रंथों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य स्मृति में न्याय व्यवस्था की

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सरिता पटेल (शोधार्थी) – छत्तीसगढ़ के लोक अनुष्ठानों एवं लोक जीवन में राम

शोध सारांश भगवान राम भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। भारतीय समाज, सभ्यता, मूल्य और आर्दश भागवान राम के आदर्शों से निर्मित है। समाज का प्रत्येक वर्ग, जाति, समुदाय राम के आदर्शों से गहराई से प्रभावित है। छत्तीसगढ़ी समाज और संस्कृति में राम भावनात्मक, सांस्कृतिक, नैतिक और धार्मिक रूप से प्रतिष्ठित है। रामायण के अनुसार भगवान

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सरिता पटेल (शोधार्थी) – छत्तीसगढ़ के लोक अनुष्ठानों एवं लोक जीवन में राम – Abstract

शोध सारांश भगवान राम भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। भारतीय समाज, सभ्यता, मूल्य और आर्दश भागवान राम के आदर्शों से निर्मित है। समाज का प्रत्येक वर्ग, जाति, समुदाय राम के आदर्शों से गहराई से प्रभावित है। छत्तीसगढ़ी समाज और संस्कृति में राम भावनात्मक, सांस्कृतिक, नैतिक और धार्मिक रूप से प्रतिष्ठित है। रामायण के अनुसार भगवान

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